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गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

रूह रौशन-ख़याल

पेश   हक़  का   सवाल  है  यारों
वक़्त    शर्मिंद:  हाल    है  यारों

ख़ुदकुशी कर गए कितने अनवर
क्या किसी  को  मलाल  है  यारों

कौन मुंसिफ़ है  कौन है मुजरिम
ये:    सियासत   कमाल  है  यारों

दाल-रोटी   तलक    नसीब  नहीं
क़ीमतों    में    उछाल    है  यारों

हर  तरफ़    बेबसी  के   साये  हैं
मुल्क  यूं    बेमिसाल    है  यारों

रहनुमा  से   सवाल  क्या  कीजे
कौन  किसका   दलाल  है  यारों

क्या  हुआ  जो  ग़रीब  घर  से  हैं
रूह    रौशन - ख़याल     है  यारों  !

                                             ( 2013 )

                                         -सुरेश  स्वप्निल 

शब्दार्थ: पेश: सम्मुख, प्रस्तुत; हक़: न्याय; शर्मिंद:  हाल: लज्जित स्थिति में; ख़ुदकुशी: आत्म-हत्या; अनवर: मरहूम कॉमरेड 
ख़ुर्शीद अनवर साहब, जिन्होंने ग़लत आरोप से दुःखी हो कर कल, यानी 18 दिस. 2013 को ख़ुदकुशी कर ली; मलाल: दुःख, खेद; 
मुंसिफ़: न्यायाधीश; मुजरिम: अपराधी;   नसीब: उपलब्ध; बेमिसाल: अद्वितीय; रहनुमा: नेता; रौशन - ख़याल: सुविचारों से प्रकाशित। 

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